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डेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबन्धन

Girish Khadke by Girish Khadke
September 29, 2019
in हिन्दी
0
डेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबन्धन
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सामान्यतः गाभिन पशुओं में ब्याने के 4-6 घंटे के अंदर जेर स्वतः बाहर निकल जाती है, परन्तु अगर ब्याने के 8-12 घंटें के बाद भी अगर जेर नहीं निकली है तो उस स्थिति को जेर का रुकना अथवा रिटेंड प्लेसेंटा कहा जाता है डेरी पशुओं में जेर के अटकने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए व् सलाह अनुसार कार्य करना चाहिए।

कारण

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय के “ मासंकुर” जेर के दलों के साथ जुड़ जाते हैं एक कार्यात्मक इकाई का निर्माण करते हैं जिन्हें प्लेसेनटोम कहा जाता है।


सामान्यतः ब्याने के बाद मासन्कुर एवं दल अलग होने लगते हैं और जेर बाहर निकल आता हिया।कुछ असामान्य स्थितियों में मासन्कुर एवं दल अलग नहीं हो पाते हैं और जुड़े रह जाते हैं, इस स्थिति में जेर अटक जाता है और बाहर नहीं निकल पाता।


जेर अटकने के कारण

  • गर्भपात
  • संक्रामक ब्यौने रोग जसे ब्रुसेल्लोसिस, केम्पाईलोबेकटेरी ओसिस आदि
  • पोषक तत्वों का असंतुलन
  • समय से पहले प्रसव
  • कष्टमय प्रसव


लक्षण

  • जेर घुटनों तक लटकी रहती है।
  • पशु के योनि द्वार से बदबूदार स्राव निकलता रहता है।
  • पशु के तापमान एवं साँस को गति में वृद्धि हो जाती है।
  • पशु के दुग्ध उत्पादन में कमी हो जाती है।
  • पशु में भूख की कमी हो जाती है।
  • जेर के सही समय पर न निकलने से पशु पालक को बेहद हानि होती है।प्रायः पशु को गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है और गर्भाशय के साथ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।गर्भाशय के सामान्य अवस्था में आने में देर हो जाती है, प्रसव उपरान्त बढ़ जाता है और पशु बार गर्भाधान कराने पर भी गर्भित नहीं होता है या रिपीट ब्रीडिंग का शिकार हो जाता है।

चिकित्सीय प्रबन्धन

  • जेर के अटक जाने के चिकित्सक प्रबन्धन में बुनियादी लक्ष्य यही रहता है की मादा के जनांग जल्द से जल्द अपनी सामने स्थिति में वापस आ जाए।
  • अटके हुए जेर को योनि मार्ग में हाथ डालकर धीरे-धीरे खींचकर निकालने का तरीका कई सालों से प्रयोग किया जाता रहा है लेकिन कई शोधों से ये ज्ञात हुआ है की इससे गर्भाशय की नाजुक परत को बेहद नुकशान पहुंचता है।कई बार गर्भाशय में सुजन एवं संक्रमण हो जाता है।
  • सबसे बेहतर उपाय यही है कि योनि के रास्ते बायाँ हाथ डालकर मासन्कुर एवं दलों को छुड़ाया जाए तथा दाएं हाथ से जेर का जितना हिस्सा आसानी से निकलता है उसे धीमे –धीमे निकाला जाए।अगर पूरी तरह जेर नहीं निकल पा रहा है तो खींचतान नहीं करना चाहिए।
  • जेर को हाथ से निकलने के सन्दर्भ में ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए की अगर पशु का जेर अटका है तो ओर 12 घंटे के बाद ही हाथ डालकर निकाला जाना चाहिए।कई बार पशुपालकर घबराहट में न४-5 घंटे के बाद ही जेर से खींचतान करने लगते हैं।ये एक बहुत बड़ी गलती होती है क्योंकि उस समय प्लेसेंटोम अपरिपक्व होते हिं, इस खींचतान से ढेर सारा खून निकल सकता है, गर्भाशय शोध हो सकता है और पशु हमेशा के लिए बाँझ भी हो सकता है।
  • जेर को निकलने के बाद ३-5 दिन तक गर्भाशय श्रींग में 2-4 घंटी-बायोटिक के बोलस रख दना चाहिए जैसे नाइटोफुराजोन एवं यूरिया के बोलस अथवा सिप्रौफ्लोक्ससिन या टैट्रासाईंक्लीन के बोलस इत्यादि।
    संकरण को रोकने के लिए 3-5 दिन तक अंतपोर्शीय मार्ग से स्ट्रेपटोपेनीसिसलिन या टैट्रासाईंक्लीन एंटी बायोटिक लगाना चाहिए।

बचाव

  • ब्याने से 1-2 माह पूर्व दाना मिश्रण के साथ लगभग 150-250 ग्राम सरसों का तेल रोजाना देना चाहिए।यह जेर के सही समय पर निकलने में सहायता प्रदान करता है।
  • ब्याने के तुंरत बाद पशु को 0.5-1 किलो गुड़ व गेहूँ का दलिया देना चाहिए इससे जेर के निकलने में मदद मिलती है।
  • ये पाया गया है की गर्भावस्था के आखरी महीने में अगर पशु को सेलेनियम और विटामिन E दिया जाए हल्का व्यायाम कराया जाए तो जेर बिलकुल सही समय पर निकल जाता है।


सहयोग : निशांत कुमार, एस.एस. लठवाल एवं बृजेश पटेल

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

महत्वपूर्ण सूचना :- यह जानकारी कृषी सम्राट की वैयक्तिक मिलकीयत है इसे संपादित कर अगर आप और जगह इस्तमाल करना चाहते हो तो साभार सौजन्य:- www.krushisamrat.com ऐसा साथ में लिखना जरुरी है !

इस शृंखला के लिये आप भी अपनी जानकारी / लेख दुसरे किसान भाईयों तक पहुंचाने के लिये kushisamrat1@gamial.com इस ई -मेल आयडी पर अथवा 8888122799 इस नंबर पर भेज सकते है l आपने भेजी हुई जानकारी / लेख आपके नाम और पते के साथ प्रकाशित कि जायेंगी l

Tags: Problem and management of lochia in dairy animalsडेयरी पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबन्धन
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