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Home शेती

जानें टिंडे की खेती के लिए उचित समय औऱ जलवायु के बारे में

Team Krushi Samrat by Team Krushi Samrat
April 29, 2019
in शेती
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जानें टिंडे की खेती के लिए उचित समय औऱ जलवायु के बारे में
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टिन्डा भी कुकरविटेसी परिवार की मुख्य फसलों में से है जो कि गर्मियों की सब्जियों में से प्रसिद्ध है। इसको पश्चिमी भारतवर्ष में बहुत पैदा किया जाता है। टिन्डा भारत के कुछ भागों में अधिक पैदा किया जाता है। जैसे-पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में मुख्य रूप से इसकी खेती की जाती है। टिन्डे के फलों को अधिकतर सब्जी बनाने के रूप में प्रयोग किया जाता है। सब्जी अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनायी जाती है। कच्चे फलों को दाल आदि में मिलाकर हरी सब्जी के रूप में खाया जाता है। इस प्रकार से इस फसल के फलों के प्रयोग से स्वास्थ्य के लिये अधिक पोषक-तत्व-युक्त सब्जी मिलती है।

 

इसको बिभिन्न प्रकार की भूमियों में उगाया जा सकता है किन्तु उचित जलधारण क्षमता वाली जीवांशयुक्त हलकी दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है वैसे उदासीन पी.एच. मान वाली भूमि इसके लिए अच्छी रहती है नदियों के किनारे वाली भूमि भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है कुछ अम्लीय भूमि में इसकी खेती की जा सकती है पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करें इसके बाद २-३ बार हैरो या कल्टीवेटर चलाएँ |

 

टिन्डे की प्रमुख जातियां :

 

टिन्डे की मुख्य तीन जातियां हैं जो निम्न हैं-

  1. अरका टिन्डा – यह किस्म अधिक उपज देने वाली है तथ 45-50 दिनों में बुवाई के बाद तैयार हो जाती है । फल हल्के हरे रंग के एवं मध्यम आकार के होते हैं ।
  2. बीकानेरी ग्रीन –इस किस्म के फलों का आकार बड़ा होता है जो कि गहरे हरे रंग के होते हैं तथा 60 दिनों में बुवाई के बाद तैयार हो जाते हैं ।
  3. लुधियाना एस-48 –ये किस्म भी अधिक उपज देने वाली है । फलों का आकार मध्यम व हरे रंग के होते हैं ।

 

बुवाई का समय एवं दूरी :

 

बुवाई का समय फरवरी-मार्च जायद के लिये तथा खरीफ की फसल के लिये जून के अन्त से जुलाई के अन्त तक बुवाई की जाती है तथा बीजों की गहराई 5-6 सेमी. रखनी चाहिए। यदि नमी की मात्रा कम है तो 8-10 सेमी. रखनी उचित होती है।

कतार से कतार की आपस की दूरी 90 सेमी. तथा थामरे से थामरे की दूरी  25-30 सेमी. रखनी चाहिए तथा एक थामरे में 4-5 बीज बोने चाहिए एवं बीजों की गहराई 8-10 सेमी. रखना उचित होगा क्योंकि छिलका कड़ा होने से नमी की अधिक मात्रा चाहिए जो कि गहराई में ही मिलेगी।

बीज की मात्रा :

 

टिन्डे का बीज अन्य कुकरविटस की अपेक्षा लगता है। औसतन बीज 8-10 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से आवश्यकता पड़ती है। जायद के लिये खरीफ की अपेक्षा अधिक मात्रा लगती है।

बगीचे में भी टिन्डे को आसानी से उगाया जा सकता है। इसलिये प्रत्येक थामरे में 4-5 बीज लगाने चाहिए। 8-10 वर्ग मी. क्षेत्र के लिये 20-25 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीजों को नमी के अनुसार सावधानी से लगाना चाहिए।

सिंचाई व निकाई-गुड़ाई :

 

टिन्डे की फसल की पहली सिंचाई बुवाई से 15-20 दिन के बाद करनी आवश्यक है। जायद की फसल की सिंचाई 6-7 दिन के अन्तर से करनी चाहिए तथा खरीफ की फसल की वर्षा न होने पर करनी चाहिए।

आरम्भ की दो सिंचाई के बाद खरपतवार हो जाते हैं। इसलिए 1.2 निराई अवश्य करनी चाहिए जिससे पैदावार कम न हो सके।

सहारा देना :

 

पौधों को पतली लकड़ी का सहारा देना चाहिए या बेल को चढ़ा देना चाहिए । तार को बांध कर पौधों को ऊपर चढ़ा देने से फल अधिक लगते हैं क्योंकि चढ़ी हुई बेल को खुली हवा मिलती है । जिससे वृद्धि ठीक होती है ।

 

फलों की तुड़ाई :

 

टिन्डो की तुड़ाई अन्य फसलों की तरह तोड़ना चाहिए और ग्रेडिंग करके बाजार भेजना चाहिए । कच्चे फलों का बाजार मूल्य अधिक मिलता है । ध्यान रहे कि फलों को पकने न दें अन्यथा फल सब्जी के लिए ठीक नहीं रहते ।

 

रोगों से टिन्डे के पौधों की सुरक्षा कैसे करें :

 

कीट व रोग लौकी, तोरई की तरह ही लगते हैं तथा नियन्त्रण भी अन्य फसलों की तरह करना चाहिए ।

 

सदर सत्रासाठी आपण ही आपल्या कडील माहिती / लेख इतर शेतकऱ्यांच्या सोयीसाठी krushisamrat1@gmail.com या ई-मेल आयडी वर किंवा 8888122799 या नंबरवर पाठवू शकतात. आपण सादर केलेला लेख / माहिती आपले नाव व पत्त्यासह प्रकाशित केली जाईल.

 

 

Tags: Krushi SamratLearn about timing and climate for tinday cultivationकृषी सम्राटजानें टिंडे की खेती के लिए उचित समय औऱ जलवायु के बारे में
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