• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Friday, January 22, 2021
  • Login
Krushi Samrat
  • होम
  • शेती
  • शेतीपुरक उद्योग
  • शासकीय योजना
  • यशोगाथा
  • कायदा
  • अवजारे
  • तंत्रज्ञान
  • हवामान
  • व्हिडिओ
  • हिन्दी
No Result
View All Result
  • होम
  • शेती
  • शेतीपुरक उद्योग
  • शासकीय योजना
  • यशोगाथा
  • कायदा
  • अवजारे
  • तंत्रज्ञान
  • हवामान
  • व्हिडिओ
  • हिन्दी
No Result
View All Result
Krushi Samrat
No Result
View All Result
Home Uncategorized

दुधारू पशुओं में थनैला, बांझपन और लंगड़ापन

Girish Khadke by Girish Khadke
September 30, 2019
in Uncategorized
0
दुधारू पशुओं में थनैला, बांझपन और लंगड़ापन
Share on FacebookShare on WhatsApp

परिचय

दुधारू पशुओं में थनैला, बांझपन और लंगड़ापन ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिससे पशुपालकों को भरी आर्थिक नुकसान होता है। इनमें से लंगड़ापन एक स्वस्थ्य संबधित समस्या है, जिसमें पशु को चलने-फिरने में परेशानी होती अहीर और उसका दुग्ध उत्पादन भी कम हो जाता है। पशुओं में यह समस्या मुख्यतः पशु राशन में असंतुलन, मांसपेशियों में चोट अतः खुर में संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है। इस समस्या में पशुओं के पिछले पैरों प्रभावित होने की संभावना लगभग 90% होती है।

लंगड़ापन से ग्रसित पैर को पशु लंबे समय तक उठाए रखता है और शरीर क्स समस्त भार अप्रभावित पैर पर पड़ता है। जिससे यह समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि धीरे-धीरे स्वस्थ पैर भी प्रभावित होने लगता है। लंगड़ापन की समस्या मुख्यतः अधिक दूध देने वाली गायें होती है। देशी गाय और भैंस की तुलना में संकर नस्ल की गायों के प्रभावित होने की आंशका अधिक होती है।


लंगड़ापन होने के प्रमुख कारक

  • पशुओं के खुर में घाव तथा संक्रमण का होना।
  • पशु के आहार में अनाज की अधिकता तरह रेशे की कमी होना।
  • पशु कका पक्के एवं खुरदरे सतह पर लंबे समय तक खड़ा रहना।
  • पशुशाला में साफ-सफाई का उचित प्रबंध न होना।
  • पशु के बढ़े हुए खुर की सही समय पर काट-छांट न करना।
  • पशुशाला में उचित बिछावन सामग्री का न होना।
  • दुधारू पशुओं के राशन में पर्याप्त खनिज-लवण तथा विटामिन की कमी होना

लंगड़ापन होने की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण पशुओं को जल अधिक मात्रा में बारीक पिसा हुआ अनाज खिलते हैं। तो रोमन्य नेब लैक्टिक एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है और रोमन्य का पी. एच, बहुत कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरुप रोमन्य के बैक्टरिया मरने लगते हैं और इंडोटोक्सिन जैसे विषैले पदार्थ निकलने लगते हैं जिससे शरीर में हिस्टामिन बनने लगता है। यह हिस्टामिन खुर में घाव, संक्रमण और पर्यावरणीय तनाव के कारण भी बनता है। हिस्टामिन शरीर और खुर में रक्त पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँच पाता, फलस्वरूप खुर की कोशिकाएं मरने लगती है और खुर में सड़न पैदा होने लगती है। खुर में सुजन और दर्द के कारण पशु अपना समस्त शारीरिक भार पैर पर समानरूप से नहीं रख पाता और लंगड़ने लगता है।

लंगड़ापन की रोकथाम के उचित उपाय

१)पशुशाला प्रबन्धन


पशुओं के स्वास्थ्य और आराम हेतु उचित पशुघर की व्यवस्था की जानी चाहिए। पशु को प्रतिदिन कम से कम 12 घंटे आराम से बैठना चाहिए जिससे पशु स्वास्थ्य ठीक रहे और उसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता भी बरकरार रहे। पशुओं को मुलायम सतह पर रखने का प्रबंध करना चाहिए, ताकि वह आराम से बैठकर जुगाली कर सके।

२)पशु के खुर की देखभाल एवं प्रबन्धन

पशुओं के खुर में घाव, संक्रमण और बैमिनाईटिस, लंगड़ापन का प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं। पशुओं को लंगड़ेपन की समस्या से बचाने के लिए खुर की उचित देखभाल करना अति आवश्यक है। लगातार कच्चे एवं गीले फर्श पर रहने वाले पशुओं में भी लंगड़ापन होने का खतरा बना रहा है। खुर के अनियमित रूप से बढ़ने के कारण उसका आकार टेढ़ा हो जाता ही, परिणामस्वरुप पशु का समस्त शारीरिक भार पैरों पर समान उर्प से नहीं पड़ता और पशु को लंगड़ेपन की समस्या होने लगती है। पशी के खुर कि उचित आकार में बनाए रखने के लिए एक निशिचत अंतराल पर खुर की काट-छांट की सलाह दी जाती है।

गाभिन पशुओं में खुर की काट-छांट के लिए ब्यांत के 4 से 6 सप्ताह पूर्व का समय उपयुक्त माना जाता है। खुर के एक निश्चित आकार में होने से पशु का समस्त शारीरिक भार खुर की सतह पर समान रूप से पड़ता है और पशुओं में लंगड़ेपन की संभावना काफी कम हो जाती है। कंक्रीट फर्श पर लंबे समय तक रहने वाले पशुओं में लंगड़ेपण की मस्य अधिक होती है, इसलिए पशुशाला के खुले भाग की सतह को कच्चा रखना चाहिए। कठोर सतह को आरामदायक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्री जैसे बालू, मिट्टी, भूसा तथा पुआल का इस्तेमाल किया जा सकता है। कठोर सतह पर प्रयुक्त होने वाले बिछावन सामग्री को एक निश्चित अंतराल पर बदलते रहना चाहिए।

राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान, करनाल में 2010 में हुए शोध के अनुसार, सिंह और सहयोगियों ने पाया कि लंगड़ेपन से ग्रसित अथवा स्वस्थ पशु कठोर सतह की तुलना में बालू सतह पर बैठता अधिक पसन्द करते हैं। पशुघरों बे बाड़े के खुले भाग के लगभग आधे से दो तिहाई भाग पर बालू बिछा सकते हैं अथवा कच्चा छेड़ सकते हैं, ताकि पशु लंबे समय तक बैठकर आराम कर सके। पशुओं को खुर के संक्रमण से बचाने के ली फूटपाथ का उपयोग काफी कारगर साबित होता है। इसलिए सप्ताह में एकबार फुटपाथ के उपयोग के अच्छे परिणाम हेतु कई प्रकार के रोगाणुनाशक रसायनों जैसे फार्मेलिन, कॉपर सल्फेट एवं जिंक सल्फेट का इस्तेमाल किया जा सकता अहि। खुर के संक्रमण की रोकथाम के लिए एंटीबायोटिक घोल बनाने के लिए एरिथ्रोमाइसिल 35 मिग्रा. प्रति लीटर पानी के अनुपात में डालना चाहिए।

३)पशुपोषण प्रबन्धन

पशु के स्वास्थ्य और अधिकतम दुग्ध उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए। ब्यांत के बाद पशु आहार में अनाज की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए तथा राशन में अनाज की अधिकतम सीमा तक पहुँचाने के लिए कम से कम 2 से 3 सप्ताह का समय लेना चाहिए। क्योंकि पशु राशन में अनाज की मात्रा अचानक बढ़ाने से अफारा, एसिडोसिस और लंगड़ापन जैसे समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है।


पशु आहार में सांद्रित और रेशा चारे का अनुपात 60.40 होना चाहिए। रेशा चारा पशुओं में जुगाली प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता हिया, जिससे पर्याप्त मात्रा में लार बनती है और एसिजेसिस जैसे समस्या से छुटकारा मिलता है। पशुओं में जुगाली करने की प्रकिया, चारे के आकार पर भी निर्भर करती है, इसलिए रेशा चारे चारे के आकार कम से कम 1.2 मि.मि. होना चाहिए। अगर चार आकर अधिक छोटा है तो उसमें अच्छी गुणवत्ता वाली घास को बनाना चाहिए ताकि जुगाली की प्रक्रिया प्रभावित न हो। क्योकि उचित पाचन के लिए जुगाली बहुत महत्वपूर्ण होती है।


पशुओं को उचित मात्रा में खनिज लवण देने से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है था लंगड़ेपन जसी समस्या की संभावना भी कम हो जाती है। शोध के दौरान यह पाया गया है, कि प्रतिदिन 200 मिग्रा. जिंक मेथियोनिन खिलाने से गायों में खुर की बीमारियों के होने का खतरा कम होता है। इसके साथ-साथ यह भी देखा गया है कि पशुओं को बायोटिन खिलाने से खुर के घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं और पशुओं को लंगड़ापन से राहत मिलती है। अतः पशु राशन में उचित मात्रा में विटामिन भी दिए जाना चाहिए।

४)लंगड़ेपन प्रबन्धन

लंगड़ेपन से प्रभावित पशु को स्वाथ्य पशुओं से अलग रखना चाहिए। पशुओं को लंगड़ेपन से बचाने हेतु बाड़े के फर्श का 1/10 भाग कच्चा रखना चाहिए तथा पर्याप्त मात्रा में विछावन सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए किया जाना चाहिए। इसके साथ-साथ बाड़े की नियमित सफाई की जानी चाहिए तथा पशु के खुर को एक निश्चित अंतराल पर काटते रहना चाहिए, ताकि उसका आकार सामान रूप से बढ़ सके और संक्रमण की संभावना कम रहे। पशु के खुर में यदि घाव है तो उसे अच्छी तरह से साफ करके नीम का तेल लगाना चाहिए और रोगानुनाश्क पट्टी बांधनी चाहिए। ऊपर दिए गए बचाव के समुचित उपायों के बाद भी यदि पशु की लेमनेस की समस्या में सुधार नहीं होता है तो पशु चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।


अतः हम कह सकते हैं कि पशुओं में लंगड़ापन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह समस्या मुख्यतः पशुओं के दुग्ध उत्पादन और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। जिसमें पशुपालकों को अधिक नुकसान होता है। पशुओं में लंगड़ेपन से बचने हेतु पशु को सूखे एवं आरामदायक स्थान पर रखना चाहिए। पशु के खुर की और उचित देखभाल की जानी चाहिए तथा फुटपाथ का उपयोग करना चाहिए। पशु राशन में फाइबर की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशुओं को उचित पोषण व तनाव मुक्त वातावरण देने से लंगड़ेपन की समस्या से बचा सकता है।



सहयोग : सतेन्द्र कुमार यादव, अजीत सिंह, मुकेश भकत एवं संतू मण्डल

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

महत्वपूर्ण सूचना :- यह जानकारी कृषी सम्राट की वैयक्तिक मिलकीयत है इसे संपादित कर अगर आप और जगह इस्तमाल करना चाहते हो तो साभार सौजन्य:- www.krushisamrat.com ऐसा साथ में लिखना जरुरी है !

इस शृंखला के लिये आप भी अपनी जानकारी / लेख दुसरे किसान भाईयों तक पहुंचाने के लिये kushisamrat1@gamial.com इस ई -मेल आयडी पर अथवा 8888122799 इस नंबर पर भेज सकते है l आपने भेजी हुई जानकारी / लेख आपके नाम और पते के साथ प्रकाशित कि जायेंगी l

Tags: infertility and lameness in milch animalsबांझपन और लंगड़ापन
Girish Khadke

Girish Khadke

Related Posts

आणेल समृद्धी मत्स्यशेती !
Uncategorized

आणेल समृद्धी मत्स्यशेती !

September 2, 2020
ठिबक सिंचन-समज/गैरसमज
शेती

ठिबक सिंचन-समज/गैरसमज

October 20, 2019
चाइनीज पत्ता गोभी की खेती
Uncategorized

चाइनीज पत्ता गोभी की खेती

October 17, 2019

ताज्या बातम्या

लसून लागवडीसाठी जाणून घ्या अनुकूल हवामान व विविध वाण
शेती

लसून लागवडीसाठी जाणून घ्या अनुकूल हवामान व विविध वाण

by Team Krushi Samrat
October 22, 2020
शाश्वत शेतीसाठी मसाला पिके व सुगंधी वनस्पतीची लागवड करावी
शेती

शाश्वत शेतीसाठी मसाला पिके व सुगंधी वनस्पतीची लागवड करावी

by Team Krushi Samrat
October 22, 2020
रब्बी हंगामात ‘मोहरी’चे पीक फायद्याचे
शेती

रब्बी हंगामात ‘मोहरी’चे पीक फायद्याचे

by Team Krushi Samrat
October 16, 2020
परतीच्या पावसाने हिरावला शेतकऱ्यांच्या तोंडाशी आलेला घास
शेती

परतीच्या पावसाने हिरावला शेतकऱ्यांच्या तोंडाशी आलेला घास

by Team Krushi Samrat
October 16, 2020
खुल्या बाजारात सोयाबीनला मिळतोय अवघ्या दीड हजारांचा भाव
शेती

खुल्या बाजारात सोयाबीनला मिळतोय अवघ्या दीड हजारांचा भाव

by Team Krushi Samrat
October 15, 2020
कमी खर्चात, कमी त्रासात घ्या ‘झेंडू’चे पिक
शेती

कमी खर्चात, कमी त्रासात घ्या ‘झेंडू’चे पिक

by Team Krushi Samrat
October 15, 2020
२०२०-२१ च्या शासकीय खरीप पिकांचे दर निश्चित
शासकीय योजना

२०२०-२१ च्या शासकीय खरीप पिकांचे दर निश्चित

by Team Krushi Samrat
October 10, 2020
अतिपाऊस,कीटकांच्या हल्ल्यामुळे सोयाबीनचे मोठे नुकसान
शेती

अतिपाऊस,कीटकांच्या हल्ल्यामुळे सोयाबीनचे मोठे नुकसान

by Team Krushi Samrat
October 10, 2020
करा शेवग्याची लागवड आणि मिळावा चांगले उत्पन्न
शेती

करा शेवग्याची लागवड आणि मिळावा चांगले उत्पन्न

by Team Krushi Samrat
October 10, 2020
Prev Next

About us

Krushi Samrat

कृषी सम्राट हा शेतकऱ्यांसाठी शेतकरी पुत्राने सुरु केलेला एक समूह आहे. आपल्या शेतकऱ्यांना जगभरातील शेतीविषयी माहिती मोफत मिळावी हाच यामागचा एक उद्देश आहे.

Browse by Category

  • Uncategorized
  • अवजारे
  • आयुर्वेदिक नुस्खे
  • कायदा
  • कृषीसम्राट सल्ला
  • तंत्रज्ञान
  • प्रेरणा
  • प्रेरणादायक गोष्टी
  • बातम्या
  • यशोगाथा
  • व्हिडिओ
  • शासकीय योजना
  • शेती
  • शेतीपुरक उद्योग
  • हवामान
  • हिन्दी

Recent News

लसून लागवडीसाठी जाणून घ्या अनुकूल हवामान व विविध वाण

लसून लागवडीसाठी जाणून घ्या अनुकूल हवामान व विविध वाण

October 22, 2020
शाश्वत शेतीसाठी मसाला पिके व सुगंधी वनस्पतीची लागवड करावी

शाश्वत शेतीसाठी मसाला पिके व सुगंधी वनस्पतीची लागवड करावी

October 22, 2020
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

© 2020 Powered by Tech Drift Solutions.

No Result
View All Result
  • होम
  • शेती
  • शेतीपुरक उद्योग
  • शासकीय योजना
  • यशोगाथा
  • कायदा
  • अवजारे
  • तंत्रज्ञान
  • हवामान
  • व्हिडिओ
  • हिन्दी

© 2020 Powered by Tech Drift Solutions.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In