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दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जब विजयी अमरीकी सेना जापान पहुंची तो उसके साथ कृषि अनुसंधान सेवा के ऐस सिसिल सैल्मन भी थे | इस बात पर विचार होने लगा कि जापान का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए | सैल्मन का ध्यान कृषि विकास पर था | उन्हें नोरिन नामकी गेंहू की एक क़िस्म मिली जिसका दाना काफ़ी बड़ा होता था | सैल्मन ने इसे और शोध के लिए अमरीका भेजा | तेरह साल के प्रयोगों के बाद 1959 में गेन्स नाम की क़िस्म तैयार हुई | नॉरमन बोरलॉग ने उसका मैक्सिको की सबसे अच्छी क़िस्म के साथ संकरण किया और एक नई क़िस्म निकाली |
उधर भारत में अनाज की उपज बढ़ाने की सख़्त ज़रूरत थी | भारत को बोरलॉग और गेहूँ की नोरिन क़िस्म का पता चला | पूसा के एक छोटे से खेत में इसे बोया गया और उसके अभूतपूर्व परिणाम निकले | 1965 में भारत के कृषि मंत्री थे सी सुब्रमण्यम | उन्होंने गेहूँ की नई क़िस्म के 18 हज़ार टन बीज आयात किए, कृषि क्षेत्र में ज़रूरी सुधार लागू किए, कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को जानकारी उपलब्ध कराई, सिंचाई के लिए नहरें बनवाईं और कुंए खुदवाए, किसानों को दामों की गारंटी दी और अनाज को सुरक्षित रखने के लिए गोदाम बनवाए | देखते ही देखते भारत अपनी ज़रूरत से ज़्यादा अनाज पैदा करने लगा | तो नॉरमन बोरलॉग हरित क्रांति के प्रवर्तक माने जाते हैं लेकिन भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय सी सुब्रमण्यम को जाता है | एम ऐस स्वामीनाथन एक जाने माने वनस्पति विज्ञानी थे जिन्होंने हरित क्रान्ति लाने के लिए सी सुब्रमण्यम के साथ काम किया |
कृषी उत्पादन करने के लिए हरित क्रांती में अपना योगदान देनेवाले व्यक्तियो के नाम कि सूची नीचे दी गई है |
कृषी उत्पादन करने के लिए हरित क्रांती |
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हरित क्रांती-शब्द को देने वाला वैज्ञानिक- |
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डॉ. विलियम |
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हरित क्रांती – का विश्व जनक |
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डॉ. नोरमान ई. बॉरलोग |
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हरित क्रांती का भारत में जनक |
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डॉ. एम. एस. स्वामिनाथन |
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भारत में हरित क्रांती को लागू किया गया |
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सन 1966-67 में |
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हरित क्रांती के लिए चयनित फैसले |
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गेहूँ व चावल (धान) |
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हरित क्रांती के समय भारत के कृषि मंत्री |
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सी. सुब्रह्रण्यम |
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हरित क्रांती का सबसे ज्यादा असर किं राज्यो में देखने को मिला |
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पंजाब व हरियाणा |
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हरित क्रांती के लिए जिम्मेदार |
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अधिक पैदावार वाली गेहू की बौनी प्रजातीया |
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हरित क्रांती में गेहूँ की बौनी प्रजातीयो के लिए जिम्मेदार जीन |
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नॉरिन |
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गेहूँ की प्रथम बौनी किस्म |
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नॉरिन – 10 |
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हरित क्रांती के लिए भारत में लायी गई प्रथम किस्मे |
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लरमा राजो व सोनार – 64 |
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हरित क्रांती को देश में लागू (1966-67) करते समय कितनी फसलो को सम्मिलित किया गया था | |
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6 (गेहूँ, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी) |
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हरित क्रांती में सर्वाधिक सफलता कीस फसल में मिली |
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गेहूँ |
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द्वितीयक हरित क्रांती के लक्ष्य |
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सुखे क्षेत्रो में जल प्रबंध द्वारा फसलो का उत्पादन बढाना (फव्वारा एव बुंद बुंद) |
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