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Home शेती

‘फसल जल प्रबंधन”

Team Krushi Samrat by Team Krushi Samrat
December 31, 2018
in शेती
0
‘फसल जल प्रबंधन”
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फसल को पानी कब? कितना? और कैसे? देना हें. यही तय करना मतलब फसल का जल प्रबंधन करना.

1) सिंचाई का समय : (कब?) जब मिटटी की नमी (वापसा से लेकर जमीन की मुर्दा केंद्र तक) सामान्यरूप रूप से 50% कम होती हें तब सिंचाई प्रणाली से पानी देना चाहिए.
लेकिन जमीन के भीतर का पानी कम होने के प्रमाण को ध्यान में रखकर और फसल के अनुसार नियोजन करना फायदेमंद रहता हें.
उदा. केली, सब्जिया, टमाटर आदि फसलो को मिटटी की नमी 25 से 30% कम होनेपर पानी देने की जरूरत होती हें.
लेकिन ज्वार, बाजरा आदि फसलो के बारे में मिटटी की नमी 60 से 75% कम हो जानेपर भी चल जाता हें.
इसके अनुसार मिटटी की नमी अपेक्षित स्तर तक आ जानेपर पानी देना जरूरी हें. इसी तरह फसल और भूमि से हर रोज होनेवाली भाप और पर्णोत्सरण इनके अनुसार गणना की जाती हें की,
कितने समय के बाद पानी देना चाहिए.

2) सिंचाई की कार्यक्षमता : फसलो के लिए जमीन से दिया हुआ पानी फसल के उपयोग के लिए जमीन में सही मात्रा में वितरित करना मतलब सिंचाई की कार्यक्षमता होती हें.
यह कार्यक्षमता पानी की जगह से फसल तक पानी ले जाने के लिए, (बहने की क्षमता) क्षेत्र में शुरू से लेकर अंत तक एक समान पानी देने के लिए, (जल वितरण क्षमता)
जल वितरण समान मात्रा में देने के लिए, (वितरण क्षमता) और वैकल्पिक रूप से पानी के हर सेंटीमीटर की गहराई के लिए, होनेवाले उत्पादन में बढोती होने के लिए. (जल उपयोग क्षमता) बढ़ाना जरूरी हें.

3) सिंचाई के लिए पानी की जरूरत (कितनी?) : फसलो को समय-समय पर लगने वाली पानी की जरूरत, फसलो को लगने वाला कुल पानी और उसकी गहराई, जमीन का प्रकार. इन सभी मुद्दों पर सिंचाई के पानी की जरूरत समझती हें.
जमीन में के पानी के उपलब्धी के नमी से 50% पानी कम हो जाने पर अलग-अलग- क्षेत्र में कितना पानी देना पड़ेंगा.
यह निम्नलिखित बातों का अध्ययन करके निर्धारित किया हें.
– फसल या पेड़ के निचे की जमीन
– उन्हें सिंचित्त कराने वाला क्षेत्र
– फसल के साथ के गुण
– संदर्भ फसल
– भापत्सरण
आधुनिक सिंचाई प्रणाली में निम्नलिखित सूत्र के अनुसार से भी पानी की जरूरत की गणना की जाती हें.
पानी की जरूरत ग = ए × बी × सी × डी (लीटर/दिन)
ए = भाप (मिमी/दिन)
बी = भाप पात्र गुणोत्तर (0.7 से 0.8)
सी = फसल का कुल क्षेत्र (चौ.मीटर)
डी = फसल के निचे का क्षेत्र (फसल गुणांक)

(”डी” यह फसल का सहगुणक हें शुरुआत में फसल के विकास के चरण में 0.7, जोरदार विकास की चरण 0.8 होता हें. फसल के फुल और फल के विकास 1 और पूरी तरह विकास के समय 0.8 रहता.)

 

 

सदर सत्रासाठी आपण ही आपल्या कडील माहिती / लेख इतर शेतकऱ्यांच्या सोयीसाठी krushisamrat1@gmail.com या ई-मेल आयडी वर किंवा   8888122799 या नंबरवर पाठवू शकतात. आपण सादर केलेला लेख / माहिती आपले नाव व पत्त्यासह प्रकाशित केली जाईल

Tags: 'Crop Water Management''फसल जल प्रबंधन''
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