फार्म या प्रक्षेत्र क्या है? (What is ‘Farm’?)
फार्म वह क्षेत्र है जिस पर किसान अथवा किसानों के समूह द्वारा सम्मिलित रूप से कृषि की जाती है । अन्य शब्दों में, फार्म वह क्षेत्र अथवा भू-खण्ड होता है जिसका उपयोग फसल उत्पादन अथवा पशुपालन के लिए किया जाता है जिस पर एक कृषक अथवा कई कृषकों का सम्मिलित रूप से स्वामित्व होता है तथा जिसकी सीमा निश्चित होती है ।
विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी फार्म की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं :-
एडम्स (R. L. Adums) के अनुसार- “वैधानिक रूप से फार्म से तात्पर्य उस भूमि के क्षेत्र से है जिसका स्वामित्व एक व्यक्ति के पास होता है तथा भूमि का वह क्षेत्र, फसलें उगाने अथवा चरागाह के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसके अन्तर्गत कई एकड़ क्षेत्र के एक अथवा अनेक खेत हो सकते हैं ।“
चौहान (Chauhan) के अनुसार- “भूमि के एक अथवा अनेक खण्ड जो कृषि उद्यम की एक इकाई के रूप में एक ही प्रबन्ध के अन्तर्गत संचालित किये जाते है, फार्म कहलाते हैं ।
जॉनसन (S. E. Johnson) के शब्दों में, “फार्म से तात्पर्य उस स्थान से है जहाँ पर या तो कुछ एकड़ क्षेत्र में फसल उगाई जाती है या कुछ में पशु पाले जाते हैं । यह आवश्यक नहीं कि उस भूमि पर फसल उत्पादन करने वाला अथवा पशु पालने वाला कृषक की श्रेणी में आता है ।
प्रबन्ध का अर्थ (Meaning of Management)
प्रबन्ध से तात्पर्य किसी कार्य को योजनाबद्ध, व्यवस्थित तथा उत्तम ढंग से करने की कला से है। कृषि हो अथवा कोई अन्य उद्योग प्रबन्ध की आवश्यकता सभी व्यवसायों में समान रूप से पड़ती है।
कृषि में उत्पादन के लिए कृषिगत उपादानों जैसे — भूमि, श्रम, पूजी, प्रबन्ध आदि की आवश्यकता पडती है । भूमि, श्रम तथा पंजी मूर्त उपादानों के अन्तर्गत तथा प्रबन्ध अमूर्त उपादान के अन्तर्गत आता है l कृषी उत्पादन में भले ही मूर्त उपादानो यथा — भूमि, श्रम और पूंजी की प्रचूर उपलब्धता हो, किन्तु उपयुक्त के अभाव में उत्पादन प्रायः कम ही होता है। विभिन्न फार्मो से प्राप्त कृषि उत्पादनो की मात्रा उत्पादन के अन्य उपादानो के समान रहने पर भी प्रबन्ध क्षमता की भिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न होती है । वास्तव में, सभी प्रबन्धकर्ता समान रूप से योग्य एवं कुशल नहीं होते । प्रबन्धकर्ता में पायी जाने वाली प्रबन्ध कला वास्तव में नैसर्गिक होती है, फिर भी इसमें प्रशिक्षण आदि के द्वारा वृद्धि की जा सकती है ।
प्रक्षेत्र (फार्म) प्रबन्ध की परिभाषाएँ (Definition of Farm Management)
प्रक्षेत्र प्रबन्ध एक कला है जिसके द्वारा कृषि उत्पादन के सीमित साधनों की सहायता से भी उत्पादन को अधिकतम बनाया जा सकता है । कृषि के व्यवसायिक सिद्धान्तो एवं कृषि नीतियो द्वारा फार्म इकाई से अधिकतम सम्भावित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से फार्म प्रबन्ध का अध्ययन किया जाता है । फार्म प्रबन्ध को विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है ।
वारेन (Warren) के अनुसार- “फार्म प्रबन्ध कृषि के व्यवसायिक सिद्धान्तों का अध्ययन है । इसका सम्बंध फार्म के संगठन सम्बन्धी विज्ञान और फार्म की इकाइयों सम्बन्धी उस प्रबन्ध से है जो निरन्तर अधिकतम प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
ग्रे (Gray) के अनुसार – “फार्म प्रबन्ध से तात्पर्य सुव्यवस्थित ढंग से फार्म का प्रबन्ध करने से है लाभकारिता के मापदण्ड से मापा जा सकता है ।
एफरसन (Efferson) के अनुसार – “फार्म प्रबन्धन वह विज्ञान है जो कि प्रक्षेत्र (फार्म) संगठन एवं संर को ध्यान में रखकर फार्म की दक्षता और निरन्तर लाभ के दृष्टिकोण से सम्बन्धित हो ।
ब्लैक (Black) के अनुसार – “फार्म प्रबन्ध में संगठन, संचालन, क्रय-विक्रय तथा वित्तीय व्यवस्था इन चारों का समावेश रहता है ।
ब्रेकफोर्ड एवं जॉनसन (Brackford & Johnson) के अनुसार- “फार्म प्रबन्ध निम्नलिखित पाँच कार्यो को करने का विज्ञान है : (1) अवलोकन, (2) विश्लेषण, (3) निर्णय लेना, (4) लिये गये निर्णयों को कार्योन्वित करना तथा (5) निर्णयों के परिणामों का दायित्व वहन करना।
प्रक्षेत्र प्रबन्ध की उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन एवं विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि सभी परिभाषाओ में निहित तत्वों में पर्याप्त समानता है । सभी विद्वानों ने अपनी परिभाषाओं में फार्म पर उपलब्ध सीमित संसाधानो का सर्वोत्तम उपयोग करके फार्म से निरन्तर अधिकतम लाभ प्राप्ति पर बल दिया है ।
फार्म प्रबन्ध की प्रकृति : विज्ञान अथवा कला ( Nature of Farm Management : Science or Art )
फार्म प्रबन्ध व्यवसायिक सिद्धान्तों का अध्ययन सुव्यवस्थित एवं उत्तम ढंग से प्रस्तुत करता है । यह विज्ञान एवं कला दोनों ही है ।
प्रक्षेत्र (फार्म) प्रवय विज्ञान है— फार्म प्रबन्ध के अन्तर्गत समस्याओं का समाधान आँकड़े प्राप्त कर तथा उनका विश्लेषण करके किया जाता है । इसलिए प्रक्षेत्र प्रबन्ध विज्ञान है । इसके अन्तर्गत सभी वार्षिक सिद्धान्तो का अध्ययन किया जाता है जो कि अधिकतम लाभ दिलाने में सहायक होते हैं । अतः इसे विज्ञान की श्रेणी में रखा जायेगा।
प्रक्षेत्र (फार्म) प्रबन्ध कला के रूप में – कला से अभिप्राय मानसिक दृष्टिकोण से दक्षता से है जिनका प्रयोग किसान विभिन्न कार्यो के करने में करता है । उदाहरणार्थ, कुछ किसान अन्य किसानों की अपेक्षा एक दिये हुए कार्य को शीघ्रता, सरलता व दक्षतापूर्वक करते हैं । वे अपने अनुभव तथा अपने पूर्वजों के अनुभवों का लाभ उठाते है।
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचना के आधार पर कह सकते हैं कि जब हम फार्म प्रबन्ध का अध्ययन सैद्धान्तिक रूप में करते है तो यह एक विज्ञान के रूप में उभरता है, किन्तु जब इसके सिद्धान्तों को व्यवहार में लाते है तो यह कला का रूप धारण कर लेता है । संक्षेप में, फार्म प्रबन्ध कला और विज्ञान दोनों है ।
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