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सरसों की उन्नत खेती

Team Krushi Samrat by Team Krushi Samrat
January 11, 2019
in हिन्दी
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सरसों की उन्नत खेती
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सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा के बारानी क्षेत्रों में की जाती हैl राजस्थान का देश के सरसों के उत्पादन में प्रमुख स्थान हैl पश्चिम क्षेत्र में राज्य के कुल सरसों उत्पादन का 29 प्रतिशत पैदा होती हैl लेकिन क्षेत्र में सरसों की औसत की उपज (700 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर) काफी कम है उन्नत तकनीकों के उपयोग द्वारा सरसों की औसतन पैदावार 30 से 60 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है l

 

किस्म पकने की अवधि औसत उपज विशेषतायें
पूसा जय किसान 125-130 18-20 सफेद रोली उखटा व तुलासिता  रोग रोधी सिचिंत व असिंचिंत  बरनी क्षेत्रों के लिए उपयुक्तl
आशीर्वाद 125-130 16-18 देरी में बुवाई की जा सकती हैl सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्तl
आर एच-30 130-135 18-20 दाने मोटे होते हैंl मोयला का प्रकोप कम सिंचित व असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त l
पूसा बोल्ड 125-130 18-20 मोटे रोग कम लगते हैंl
लक्ष्मी (आरएच 8812) 135-140 20-22 फलियां पकने पर चटकती नहीं दाना मोटा और कालाl
क्रांति(पीआर 15) 125-130 16-18 तुलसिता व सफेद रोलीरोधक, दाना मोटा व कत्थई रंग काl असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त l

 

भूमी व उसकी तैयारी

सरसों की खेती के लिए दोमट व बलुए भूमि सर्वोतम रहती है l सरसों के लिए मिटटी भुरभुरी होनी चाहिए,क्योंकि सरसों का बीज छोटा होने के कारण अच्छी परक प्रकार तैयार की हुई भूमि में इसका जमाव अच्छा होता है l पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करनी चाहिए इसके पश्चात एक क्रास जुताई हैरो से तथा एक कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगा देना चाहिये l

 

बीज एवं बुआई

सरसों के लिए 4 से 5 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता हैl बारानी क्षेत्रों में सर्सो की बुआई 25 सितमबर से 15 अक्टूबर तथा सिंचाई क्षेत्रों में 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच करनी चाहिए l फसल की बुआई पंक्तियों में करनी चाहिएl पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 50 की दूरी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखनी चाहिये l सिंचित क्षेत्रों में फसल की बुआई पलेवा देकर करनी चाहिये l

 

खाद एवं उर्वरक

सरसों की फसल के लिए 8-10 टन गोबर की हुई या कम्पोस्ट खाद को बुआई से कम से कम तीन से चार सप्ताह पूर्व खेती में अच्छी प्रकार मिला देनी चहिएl इसके पश्चात मिट्टी की जाँच के अनुसार सिंचित फसल के लिए 60 किलो ग्राम नाइट्रोजन यवंन 40 किलो ग्राम फास्फोरस की पूर्ण मात्रा बावई के समय कुंडों में, 87 किलो ग्राम डीएपी व 32 किलो ग्राम यूरिया द्वारा 65 किलो ग्राम व 250 किलो ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट के द्वारा देनी चाहियेl नाइट्रोजन की शेष 30 किलो मात्रा को पहली सिंचाई के समय 65 किलो ग्राम यूरिया प्रति हेक्टयर के द्वारा छिड़क देनी चाहिएl इसके अतिरिक्त 40 किलो ग्राम गंधक चूर्ण प्रति हेक्टेयर की दर से फसल जब 40 दिन की हो जाये तो देना चाहियेl असिंचित  क्षेत्र में 40 किलो ग्राम नाइट्रोजन व 40 किलो ग्राम फास्फोरस को बुआई क समय 87 किलो ग्राम डी. ए.पी. व 54 किलो ग्राम यूरिआ द्वारा प्रति हेक्टयर की दर से होनी चाहियेl

 

सिंचाई

सरसों की खेती के लिए 4-5 सिंचाई पर्याप्त होती हैl यदि पानी की कमी हो तो चार सिंचाई पहली बुवाई के समय, दूसरी शाखाऐं बनते समय (बुवाई के 25-30 दिन बाद) तीसरी फूल प्रारम्भ होने के समय (45-50 दिन) तथा अंतिम सिंचाई फली बनते समय (70-80 दिन बाद) की जाती हैl यदि पानी उपलब्ध हो तो सिंचाई दाना पकते समय बुवाई के 100-110 दिन बाद करनी लाभदायक होती हैl सिंचाई फव्वारे विधि दुबारा करनी चहियेl

 

फसल चक्र

फसल चक्र का अधिक पैदावार प्राप्त करने, भूमि की उर्वराशक्ति बनाये रखने तथा भूमि में कीड़े बीमारियों एवं खरपतवार काम करने में महत्पूर्ण योगदान होता हैल सरसों की खेती के लिए पश्चिमी क्षेत्र में, मूंग-सरसों, ग्वार-सरसों, बाजरा-सरसों एक वर्षीय फसल चक्र तथा बाजरा-सरसों-मूंग/ग्वार-सरसों दो वर्षीय फसल चक्र उपयोग में लिये जा सकते हैंl बारानी क्षेत्रों में जहाँ केवल रबी में फसल ली जाती हो वहाँ सरसों के बाद चना उगाया जा सकता हैl

 

गिराई – गुड़ाई

सरसों की फसल में अनेक प्रकार के खरतपतवार जैसे गोयला, चील, मोरवा, प्याज इत्यादि नुकसान पहुंचाते हैंl इनके नियंत्रण के लिए बुवाई के 25 से 30 दिनपश्चात कस्सी से गुड़ाई करनी चाहियेl इसके पश्चात दूसरी गुड़ाई 50 दिन बाद कर देनी चाहियेl सरसों के साथ उगने वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बाजार में उपलब्ध पेंडीमेथालिन की 3 लीटर मात्रा बुवाई के 2 दिनों तक प्रयोग करनी चाहियेl सरसों की फसल में आग्या(ओरोबंकी) नामकपरजीवी खरपतवार फसल के पौंधों की जड़ पर उगकर अपना भोजन प्राप्त करता हैl तथा फसल के पौंधों की जड़ों पर उगकर अपना भोजन प्राप्त करता है l

 

पादप सुरक्षा

पन्टेड बग व आरा मक्खी

यह किट फसल को अंकुरण के 7-10 दिनों में अधिक हानि पहुंचता है इस किट की रोकथाम के लिए एन्डोसल्फान 4 प्रतिसत मिथाइल पैरा थियोन 2 प्रतिशत चूर्ण 20 से 25 किलो हेक्टेयर की दर भुरकाव करना चाहिये l

मोयला

इस कीट का प्रकोप फसल में अधिकतर फूल आने के पश्चात मौसम में नमी व बादल होने पर होता हैl यह कीट हरे, काले, एवं पीले रंग का होता है पौधे के विभिन्न भागों पत्तियों, शाखाओं, फूलों एवं फलिओं का रस चूसकर नुकसान पहुंचता हैl इस कीट को नियंत्रण करने के लिए फास्फोमीडोन 85 डब्लू.सी की 250 मिली या इपीडाक्लोरप्रिड की 500 मिली या मेलाथियोनं 50 ई.सी.की 1.25 लीटर पानी में घोल बनाकर एक सप्ताह के अंतराल पर दो छिड़काव करने चाहिएं l

 

बीज उत्पादन

सरसों का बीज बुवाई हेतु किसान स्वयं भी अपने खेत पर पैदा कर सकते हैंl केवल कुछ सावधानियां अपनाने की आवश्यकता हैंl बीज उत्पादन कर लिए ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिये, जिसमें पिछले वर्ष सरसो खेती न की होl सरसों के चारों ओर 200 से 300 मीटर की दूरी तक सरसों की फसल नहीं होनी चाहियेl सरसों की खेती के लिए प्रमुख कृषि क्रियाएं, फसल सुरक्षा, अवांछनीय पौधों को निकलना तथा उचित समय पर कटाई की जानी चाहियेl फसल की कटाई करते समय खेत को चारों ओर से 10 मीटर क्षेत्र छोड़ते हुए बीज के लिए लाटा काटकर अलग सुखाना चाहिये तथा दाना निकाल कर उस साफ करके ग्रेडिंग करना चाहियेल दाने में नमी 8-9 प्रतिशत अधिक नहीं होनी चाहिये। बीज को कीट एवं कवकनाशी से उपचारित कर लोहे की टंकी या अच्छी किस्म के बोरों में भरकर सुरक्षित जगह भंडारित कर देना चाहियेl इस प्रकार उत्पादित बीज को किसान अगले वर्ष बुवाई के लिए प्रयोग कर सकते हैंl

 

कटाई एवं गुडाई

फसल अधिक पकने पर फलियों के चटकने की आशंका बढ़ जाती हे अत: पौधों के पीले पड़ने एवं फलियां भूरि होने पर फसल की कटाई कर लेनी चाहिएl लाटे को सुखाकर थ्रेसर या डंडो से पीटकर दाने को अलग कर लिया जाता हेl

 

उपज एवं आर्थिक लाभ

सरसों की उन्नत विधियों द्वारा खेती करने पर औसतन 15-20 कुतल प्रति हेक्टर दाने की उपज प्राप्त हो जाती हर तथा एक हेक्टेर के लिए लगभग 25 हजार रूपये का खर्च आ जाता हैl यदि सरसों का भाव 30 रूपये प्रति किलो हो तो प्रति हेक्टयर लगभग 30 हजार रूपये का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है l

 

 

 

 

इस सत्र के लिए हम किसानों की सुविधा के लिए, यह जानकारी अन्य किसानों की सुविधा के लिए लेख आप krushisamrat1@gmail.com ई-मेल आईडी या 8888122799 नंबर पर भेज सकते है, आपके द्वारा सबमिट किया गया लेख / जानकारी आपके नाम और पते के साथ प्रकाशित की जाएगी।

Tags: Advanced farming of mustardसरसों की उन्नत खेती
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